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जनवरी, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

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ये आंसू नहीं सैलाब है  जो बहना भी जानते हैं और बहाकर ले जाना भी यह नीचे  गिरती नदी नहीं  दिल की आह से आया सैलाब है जो  तबाह कर देगा  तेरी  'मैं' और तेरा 'सब' © Penned by : IG/@ruchikasachdeva_ #rakeshtaket #farmersprotest #supportfarmers

बी माय परफेकट ऐंडिंग किताब की शुरूआत || लेखकः अर्पित वगेरिआ

किताबः बी माय परफेकट ऐंडिंग  लेखकः अर्पित वगेरिआ यू आर दी बेस्ट वाईफ, अजय के पांडे द्वारा लिखी खुबसूरत किताब पढ़ने के बाद मेरा रूझान रोमांटिक नावल की ओर हो गया। सोचा क्युं ना एक और रोमांटिक नावल पढ़ा जाये पर अब किसी और लेखक का।  हालांकि मैने अजय के पांडे के दो और नावल मंगवा लिये हैं पर सोचा पहले किसी और लेखक की लेखनी पढ़ी जाये। इसके लिये मैने चुनी है किताब बी माय परफेकट ऐंडिंग। अर्पित वगेरिआ ने ये किताब लिखी है। किताब पढ़ने की इच्छा यह जानने के बाद और दुगनी हो गयी कि लेखक और कहानी का पात्र दोनो ही एक टेलीविज़न लेखक है। बचपन से घर पर टेलीविजन सिरीयलज़ देखते आये हैं तो नावल से पहले टीवी ही मेरे लिय इंटेरटेनमेंट का पहला माध्यम था।  सोचा शायद यह नावल टीवी स्टारज़ की चकाचैध भरी जिंदगी से जुड़ा होगा। यह किताब शुरूआत में बाम्बे की चकाचैध में जी रहे एक टेलीविज़न के लेखक की जिन्दगी दिखती है जो महत्वाकांशी है। जीवन में सच्चा प्यार तलाशने और अपनी जड़ों को ढूंढने की कोशिश कर रहा है। शुरूआती पन्ने में अरमान  अपनी प्रोफेशनल लाईफ में निराश और उलझा-उलझा सा रहता है। वहीं दूसरी और प्यार और नये रिलेशनशिप के लि

तस्वीर के पीछे छिपी करोड़ो लोगों की भावनाऐं कलाकार रवि रवराज की ज़ुबानी

सदा शब्दों के पीछे छुपी भावनाओं की बात करने वाली आज मैं, निशब्द भावनाओं को पढ़ने में ऐसी खो गयी कि निशब्द हो गयी। पिछले दिनों वायरल हुयी ये तस्वीर देखकर। शब्द ही नही रंग भी कई भावनाओं को समेटे होते हैं। ये बात आज समझ आयी। एक बेहतरी कलाकार रवि रवराज ने ये तस्वीर बनायी जिसमें बिना एक शब्द लिखे उन्होने सब लिख दिया। जिसे वो शब्द दिखे वो समझा और देश के भविष्य के प्रति चिंतित हो मन ही मन रोया, जिसे नही दिखा वो सत्ता की चकाचैध में खोया। आगे आप खुद ही समझदार हैं। कलाकाल के मन में ये तस्वीर बनाते हुये क्या रहा होगा? सवालों के किस बवंडर में वह फंसा होगा? मन में क्या पीड़ा रही होगी ये रंग केन्वस पर बिखेरते हुये? रवि रवराज के इस सफर को मेरी दोस्त वनिता खन्ना उर्फ गिफटी अटवाल और उनके जीवन साथी जे बी सिंह अटवाल ने अपने कैमरे में कैद किया। ताकि उस कालाकार की भवनाऐं आजाद हो सके। उस तक सिमटी उसकी सोच लाखो करोड़ों तक पहुंच सके। Ravi Ravraj | Kankaa Di Lori | Ravi Ravraj Life Story | Wadhde Kadam

कलयुग के प्रेम में भी है अमर करने की ताकत

You Are The Best Wife by Ajay K Pandey किताब:   यू आर   दी  बेस्ट वाईफ   लेखक:  अजय के पांडे  यह किताब लेखक और उनकी पत्नी की सच्ची कहानी है।              "प्यार आपको धर्म निरपेक्ष बना देता है।"          "L ove makes us secular."           अजय के पांडे की खूबसूरत किताब पूरी करने तक मेरी आंखों में आंसू थे और दिमाग में बहुत से सवाल घूम रहे थे। मेरे मन ने भी भगवान के होने पर कई सवालिया निशान लगा दिए थे। क्या भगवान सच में इतना निर्दयी हो सकता है? जब किसी को हमसे छीनना ही है तो उसे हमारी जिंदगी का हिस्सा क्यों बनाता है? किताब किन लोगों को अधिक पसन्द आ सकती है           यदि आप रोमांच, रोमांस, व्यंगय व स्टीक लेखनी के शौकीन हैं तो ये किताब आपके लिये है। आपको ये किताब सेल्फ इंप्रुवमेंट में भी मदद करेगी। यह किताब आपको बखुबी बतायेगी कि जिन्दगी सुख, दुख और संघर्ष का मिलाजुला नाम है । कहानी           यह किताब लेखक और उनकी पत्नी की सच्ची कहानी है। भगवान को जब किसी को हमसे छीनना ही है तो उसे हमारी जिंदगी का हिस्सा क्यों बनाता है? किताब  का अंत होते-होते  लेखक ने इस सवाल का जवाब दे

कलम की कथनी या किबोर्ड की करनी, किसके शब्दो में है दम?

कलम के युग में स्याही कच्ची, मगर इसकी कथनी सच्ची और पक्की थी। किबोर्ड के युग में शब्द पक्के मगर भाव कच्चे लगते हैं। क्या आपने कभी  चिट्ठियां लिखी हैं? या कभी मां के पास कभी कोई पुरानी रखी  चिट्ठियां पढ़ी है?  कंप्यूटर का ज़माना आ गया है उंगलियां कीबोर्ड पर ऐसे मचलती हैं कि मानो पैसे गिनने के लिए फड़फड़ा रही हो। मगर इस बीच एक एहसास सा खत्म होता जा रहा है, वह है अपने हाथ से अपनी भावनाओं को लिखने का मज़ा। न जाने क्यों कीबोर्ड से मेरी कुछ ज्यादा बनी नहीं, खासकर तब, जब इमोशंस लिखने की बारी आती है तो मुझे कलम से लिखे हुए, हाथ से संजोए हुए, अपने शब्द ही पसंद आते हैं। चाहे वह बुक मार्कर, हो या अपनी कविताएं लिखना या फिर चंद पंक्तियां लिखना।  मुझे यकीन है यह बात वह लोग जरूर समझेंगे जिन्होंने कभी चिट्ठियों से अपने दिल की भावनाएं अपनों तक पहुंचाई हो| जिन्होंने कभी कागज पर वह सच लिखा हो जो वह कभी किसी से ना कह पाए हो। यह बात वह लोग जरूर समझेंगे जिन्होंने अपने सुख-दुख के संदेश कभी अपने प्रियजनों को और सगे संबंधियों को चिट्ठियों से भेजे हो। आज भी मुझे मेरी पुरनी किताबें, मेरे हाथों से लिखे नोटस और कॉपियां

मर्द वो जो औरत नही और औरत वो जो मर्द नही

हम जिस पल जन्म लेते हैं उसी पल से हमारा वर्गीकरण शुरू हो जाता है। औरत है या मर्द ? जाति कौन सी है? रंग कैसा है? गरीब है या अमीर?  हम जिस पल जन्म लेते हैं उसी पल से हमारा वर्गीकरण शुरू हो जाता है। औरत है या मर्द ? जाति कौन सी है? रंग कैसा है? गरीब है या अमीर? और ये सब वर्गीकरण अपने आप को बुद्यिमान कहलवाने वाले समाज के ठेकेदार करते हैं। अगर ये भेदवाव सच में कुछ मायने रखता है, तो जाति धर्म के ठेकेदारों से कभी पूछो तो.. कि अछुत मान कर किसी के हाथ का खाना खाने से मना करने वालों ने कभी ये कहा है कि हम अपनी जाति व धर्म द्वारा उगाया अन्न ही खाऐंगे। उन्ही के द्वारा उगायी कपास का बना कपड़ा पहनेंगे। उसी जाति के डाक्टर से ईलाज करवायेंगें। उसी के हाथ का बना जूता पहनेंगे। नही धर्म के ठेकेदारों ने बड़ी चतुराई से लोगों को इस भेदभाव में उलझा दिया ताकि असली मुद्दों पर बातचीत करने से लोग भटक जाये। समय ही निकाल पाये असली मुद्दों पर बात करने का।         ये रंगभेद मज़ाक सा लगता है मुझे। ये मज़ाक नही तो क्या है? रंग के आधार पर सुन्दरता को आंकने वाले से कभी पूछा है कि सफेद रंग को खुबसुरती का मानक मानने वालों को क

शब्दों की निशब्द भावनाओं को पढ़ने की कोशिश

  इस भाग दौड़ भरी जिन्दगी में हम सब बहुत कुछ सीख पाते हैं और काफी कुछ नही। कुछ जिन्दगी सीखा देती है कुछ लोग। मगर मेरे साथ इस सफर में मैं लायी हुं किताबों की दुनिया से कुछ ऐसी बातें जो शायद हम सबको कई हजारों जिन्दगियों के सबक सीखा देगी। बिना वो जिन्दगी जीयें, किताबों के शब्द आपको एक नयी दुनिया में ले जायेंगें  मेरी पढ़ी हर किताब को आप भी पढ़ा हुआ महसूस करेंगे। मेरे इस सफर का आप भी हिस्सा होंगे। इस नये साल में शब्दों के पीछे छुपी निशब्द भावनाओं को पढ़ने की कोशिश कर रही हूँ ।  किताबों की दुनिया से रूचिका सचदेवा