देश बदलते ही सोच भी बदल जाती है। एक दिन युं ही गली में खड़े किसी से बात होने लगी कि अब बेटा बेटी बराबर होते है। आगे से जवाब आया, पर बेटी मां बाप को तो नही रख सकती, मां बाप को तो बेटों ने ही रखना है। बेटी के घर रहकर बदनामी मोल नही लेनी हमें... तो मेरे मन में विचार आया बेटी अगर विदेश में कहीं रह रही हो और डिलीवरी के वक्त मां की जरूरत हो। तो मां उसके यहां महीनो पहले पहुंच जाती है। और साल- दो साल बाद ही लौटती है। उसके कई सारे कारण होते हैं 1. कि पराये देश में अकेली औरत पति के जाने के बाद छोटे बच्चे को कैसे पालेगी? 2. यदि औरत और मर्द दोनो काम पर जाते हैं तो दुधमुहे बच्चे को घर पर अकेला कैसे छोड़कर जाये? 3. जहाज की टिकट इतनी महंगी है कि कई लोगों की महीनो की तनख्वाह लग जाती है एक ओर की टिकट लेने के लिये। इसलिये जल्दी नही आ सकते। कारण जो भी हो बेटी के घर में विदेश जाकर इन कारणों के साथ रहना सही है। और अपने देश में यदि ये कारण ना हो तो क्या हम बेटी के साथ कुछ महीने या कुछ वर्ष रहेंगे? नही... मुझे नही लगता... अपने देश में हम समाज से डरते हैं... वो समाज जो खुद हमसे डरता है... कि यदि हम
Ruchika Sachdeva
शब्दों के पीछे छुपी निशब्द भावनाओं को पढ़ने की कोशिश कर रही हूँ ।