देश बदलते ही सोच भी बदल जाती है।
उसके कई सारे कारण होते हैं
2. यदि औरत और मर्द दोनो काम पर जाते हैं तो दुधमुहे बच्चे को घर पर अकेला कैसे छोड़कर जाये?
3. जहाज की टिकट इतनी महंगी है कि कई लोगों की महीनो की तनख्वाह लग जाती है एक ओर की टिकट लेने के लिये। इसलिये जल्दी नही आ सकते।
कारण जो भी हो बेटी के घर में विदेश जाकर इन कारणों के साथ रहना सही है।
और अपने देश में यदि ये कारण ना हो
तो क्या हम बेटी के साथ कुछ महीने या कुछ वर्ष रहेंगे?
नही... मुझे नही लगता...
अपने देश में हम समाज से डरते हैं... वो समाज जो खुद हमसे डरता है... कि यदि हम सबने मिलकर अपनी सोच बदल ली... तो समाज खुद बदल जायेगा और एक नयी सोच वाले समाज की रचना होगी।
मैं यहां एक बात पुछना चाहती हुं
कि क्या जहाज की टिकट में देश बदलने के साथ मानसिकता बदलने की भी कोई अतिरिक्त सेवा दी जाती है?
या देश की हवा बदलते ही विचार बदल जाते है,
ठीक उसी प्रकार... जैसे रेडियो की फ्रीकवेंसी बदलते ही कार्यक्रम बदल जाते हैं।
पलों में देसी गानों से विदेषी गाने बजने लगते हैं।
मेरा भाव यहां केवल यह है कि माता पिता का बेटा हो या बेटी... दोनों के साथ बराबर का रहने का अधिकार है । बिना कोई कारण या बहाना बनाये, माता पिता पूरे हक, सम्मान और प्रेम से, बेटा बेटी किसी के भी पास उनके साथ उनके घर में रह सकते हैं।
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