सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

The Quirky Wallflower and the Silent Bumble Bee by Nazam Riar

किताब: द क्वरकी वॉल फ्लावर एंड साइलेंट बंबलबी लेखिका:  नज़म रिआर  नज़म रिआर जी की किताब "द क्वरकी वॉल फ्लावर एंड साइलेंट बंबल बी"   मुझे  नज़म रिआर जी से तोहफे में मिली है। किताब मेरे बहुत ही अज़ीज दोस्तों वनिता खन्ना व उनके पति जे बी सिंह अटवाल मेरे लिये दोस्ती का फर्ज समझ कर लेखिका से पर्सनल मैसेज लिखवा कर लाये। शायद वे दोनो जानते थे कि मेरे लिये एक औरत और एक इन्सान होने के रूप मे यह एक बेहद अच्छा तोहफा सिद्ध होगा। यह किताब किस बारे में बात करती  है ?  दर्द भरे दिलों की खुद को गमों से उबारने की औरत के सशक्तिकरण की जिन्दगी में प्यार की अहमियत की बाहरी दुनिया में खुशियां ढूंढने की ब्जाय खुद के भीतर खुशियां तलाशने की किताब के कुछ ही पन्ने पढ़ पायी हुं मगर खुश हुं कि मेरे लिये किसी ने ऐसा बेहतरीन तोहफा लिया । 🙏 यह मेरे लिये या औरतों के लिये ही नही, किसी भी व्यक्ति के लिये खास तोहफा हो सकता है जो जिन्दगी में कई सवालों से घिरा है। किताब का पूरा रिवयू जल्द ही सांझा करूंगी। वनिता खन्ना व जे बी सिंह अटवाल ने लेखिका के साथ कुछ पल सांझा किये जिन्हे उन्होने अपने कैमरे में कैद कर लिया

क्या जहाज की टिकट में देश बदलने के साथ मानसिकता बदलने की भी कोई अतिरिक्त सेवा दी जाती है?

 देश बदलते ही सोच भी बदल जाती है। एक दिन युं ही गली में खड़े किसी से बात होने लगी कि अब बेटा बेटी बराबर होते है।  आगे से जवाब आया, पर बेटी मां बाप को तो नही रख सकती, मां बाप को तो बेटों ने ही रखना है।  बेटी के घर रहकर बदनामी मोल नही लेनी हमें...  तो मेरे मन में विचार आया बेटी अगर विदेश में कहीं रह रही हो और डिलीवरी के वक्त मां की जरूरत हो। तो मां उसके यहां महीनो पहले पहुंच जाती है। और साल- दो साल बाद ही लौटती है।  उसके कई सारे कारण होते हैं 1. कि पराये देश में अकेली औरत पति के जाने के बाद छोटे बच्चे को कैसे पालेगी? 2. यदि औरत और मर्द दोनो काम पर जाते हैं तो दुधमुहे बच्चे को घर पर अकेला कैसे छोड़कर जाये? 3. जहाज की टिकट इतनी महंगी है कि कई लोगों की महीनो की तनख्वाह लग जाती है एक ओर की टिकट लेने के लिये। इसलिये जल्दी नही आ सकते।  कारण जो भी   हो बेटी के घर में विदेश जाकर इन कारणों के साथ रहना सही है।  और अपने देश में यदि ये कारण ना हो  तो क्या हम बेटी के साथ कुछ महीने या कुछ  वर्ष  रहेंगे? नही... मुझे नही लगता... अपने देश में हम समाज से डरते हैं... वो समाज जो खुद हमसे डरता है... कि यदि हम

आवाम इकट्ठे ही अच्छी...

आवाम इकट्ठे ही अच्छी... आवाम इकट्ठी ही अच्छी, या जयकारों में या ललकारो में | गर ऐसा ना हो, तो समझ लेना... या तानाशाह बैठे सरकारों में, या आवाम है बंद दीवारों में || आप सभी को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं View this post on Instagram A post shared by Ruchika Sachdeva (@ruchikasachdeva_)

Why you should read the book Her Last Wish By Ajay K Pandey किताबः हर लास्ट विश || लेखकः अजय के पांडे ||

Her Last Wish By Ajay K Pandey किताबः हर लास्ट विश  लेखकः अजय के पांडे  अजय के पांडे की नई किताब ’हर लास्ट विश’ उनकी पिछली किताब यू आर माय बेस्ट वाइफ की तरह है। हालांकि यू आर माय बेस्ट वाइफ लेखक की सच्ची कहानी है जिसमें प्यार, मोहब्बत और दर्द भरा हुआ था । किताब को पढ़ने के कई दिनों बाद तक भी मैं अजय और भावना को एक भी पल भूल नही पायी। मानो में उन्हे व्यक्तिगत तौर पर जानती हुं। आज भी यही सोचती हूं कि काश भावना जिंदा होती । मगर शायद भावना सच में जिंदा ही है, तभी तो हर बार जब किताब, सच्चे प्यार और अमर होने के बारे में सोचते हुं तो वह खुद ही ख्यालों में आ जाती है । हर लास्ट विश में अजय के पांडे ने मध्यवर्गीय विजय और आस्था की कहानी बताई है । विजय एक ऐसा व्यक्ति जो रहन सहन में ही मध्यम वर्ग से संबंधित नही था बल्कि विश्वास, पर्सनैलिटी और पढ़ाई के मामले में भी मध्यम वर्ग से ही संबंधित है। वहीं दूसरी ओर आस्था उसकी पत्नी कॉन्फिडेंस से लबरेज, खुबसूरत, खुशमिजाज़, जिन्दादिल और इंटेलिजेंट हैं।  “अगर किसी बच्चे में आत्म-सम्मान की कमी है, तो यह इसलिए है क्योंकि उसके माता पिता उसे प्रोत्साहन देने से ज्यादा

अजय के पांडे की नई किताब हर लास्ट विश || Her Last Wish: Ajay K Pandey 

हर लास्ट विश:  अजय के पांडे किताब: हर लास्ट विश Her Last Wish लेखक: अजय के पांडे #Ajay K Pandey 💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖 अजय के पांडे की नई किताब *हर लास्ट विश*  शुरू की है | यह  किताब भी उनकी पिछली किताब यू आर माय बेस्ट वाइफ की तरह है | हालांकि यू आर माय बेस्ट वाइफ लेखक की सच्ची कहानी है जिसमें प्यार, मोहब्बत और दर्द भरा हुआ था | किताब को पढ़ने के कई दिनों बाद तक भी मैं उसे भूल नहीं पाई |  💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖 आज भी यही सोचती हूं कि काश भावना जिंदा होती | मगर शायद भावना सच में जिंदा ही है, तभी तो हर बार जब किताब के बारे में सोचती हूं तो वह खुद ही ख्यालों में आ जाती है |  💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖 हर लास्ट विश में अजय के पांडे ने मध्यवर्गीय विजय और आस्था की कहानी बताई है | विजय एक ऐसा व्यक्ति जिसकी डिक्शनरी में आत्मविश्वास नाम का शब्द नहीं है , वहीं दूसरी ओर आस्था उसकी पत्नी कॉन्फिडेंस से लबरेज है|  किताब के शुरुआती अंको में अरेंज मैरिज के वह किस्से सुनाए हैं, जब एक भारतीय परिवार बेटे की शादी के लिए मेट्रोमोनियल साइट पर तरह-तरह की तारीफों के कसीदे लिखता हैं और हर बात को बढ़ा चढ़ा कर बताता हैं|

बी माय परफेक्ट ऐंडिंग: अर्पित वगेरिया Be My Perfect Ending by Arpit Vageria

किताब: बी माय परफेक्ट ऐंडिंग   लेखक: अर्पित वगेरिया किताब: बी माय परफेक्ट ऐंडिंग   लेखक: अर्पित वगेरिया कहानी पूरी फिल्मी है मेरे दोस्त।  बी माय परफेक्ट ऐंडिंग किताब अर्पित वगेरिया द्वारा लिखी गई है  अर्पित टीवी के एक जाने-माने लेखक है। किताब में उनके लिखने का तरीका और कहानी में आने वाले मोड़ किसी नाटक की कहानी से कम नहीं। कहानी में प्यार ह,ै रोमांच है, धोखा है, दोस्ती है, टूटे हुए दिल की बातें हैं और थोड़ा भूतिया सीन भी है। कहानी अरमान और सारा की है। दोनो टीवी की दुनिया से संबंध रखते हैं। सारा एक अनाथ है, जो रिश्तो में बंधने से डरती है। प्यार पाने को बेताब है पर एक बार टूट चूके दिल और प्यार में मिले धोखे से डरती है। दिल जोड़ना चाहती है पर अब किसी रिश्ते में सीरियस नहीं होना चाहती। मगर कहते हैं प्यार आपका कब किस मोड़ पर इंतज़ार कर रहा होगा आप नही जानते। कब आपकी रूह किसी और की हो जायेगी। आप जान भी नही पायेंगे। सारा को भी जब यह अहसास हुआ कि उसे अरमान से प्यार हो गया है तब तक बहुत देर हो चुकी थी। यदि आप बहुत फिल्मी है, रोमांटिक नावल पढ़ना चाहते हैं सस्पेंस पढ़ना चाहते हैं यह कहानी जरूर पढ़नी चाहि

तेरे हर पत्थर को संजो कर रखेंगे हम, अब ऐ हुकूमत तुमको दिखाएंगे…Baba Jaggi Singh Pandher

तेरे हर पत्थर को संजो कर रखेंगे हम, अब ऐ हुकूमत तुमको दिखाएंगे… कैसे हम इन पत्थर से हौंसले की चट्टान और, लहू के हर कतरे से स्याही बनाएंगे... लिखेंगे विजय गाथा इसी से, देश के इतिहास से गवाही दिलवाएंगे... लाल किले के बगल में इन्हीं पत्थरों से हम, विजयी किसान आंदोलन का स्मारक बनाएंगे... सजदा करेंगी सर झुकएंगी पूशॅते भी तेरी, जब तेरी भाषा में बागी कहे जाने वाले... इन्हीं देशभक्तों का इतिहास, दुनिया वाले गा-गा कर सुनाएंगे © Penned by : ruchikasachdeva Insta ID: https://www.instagram.com/ruchikasachdeva Facebook ID: https://www.facebook.com/SachdevaRuchika View this post on Instagram A post shared by Ruchika Sachdeva (@ruchikasachdeva_)

सुनो भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव, तुम्हें दोबारा आना होगा...

सुनो भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव, तुम्हें दोबारा आना होगा... सुनो भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव,तुम्हें दोबारा आना होगा... बागी, बगावत और नागरिक अधिकारों का, फर्क इन्हें बताना होगा... बताना होगा अधिकार मांगना, गलत नहीं सही बात है... इनके मन में भी, देशप्रेम का भरा जज़्बात है... बताना इन्हें इतना जु़ल्म करना ठीक नहीं, शांत प्रदर्शनकारी आवाम मांग रही हक, भीख नहीं... बताना इन्हें, इस बार किसानों की सेना आई है... जिनकी हरित क्रांति के बल पर तूमने, विश्व में अपनी जगह बनाई है... समझाना कि अब अंग्रेजी शासन नहीं, तब थे सिर्फ कुछ ही योद्धा... अब है लाखों भगत सिंह, डर कर पीछे हटने वाला एक नहीं Insta ID :-  https://www.instagram.com/ruchikasachdeva_ LIKE COMMENT SAVE SHARE Editing: Self Give credits if you repost View this post on Instagram A post shared by Ruchika Sachdeva (@ruchikasachdeva_)

We Support Farmers

ये आंसू नहीं सैलाब है  जो बहना भी जानते हैं और बहाकर ले जाना भी यह नीचे  गिरती नदी नहीं  दिल की आह से आया सैलाब है जो  तबाह कर देगा  तेरी  'मैं' और तेरा 'सब' © Penned by : IG/@ruchikasachdeva_ #rakeshtaket #farmersprotest #supportfarmers

बी माय परफेकट ऐंडिंग किताब की शुरूआत || लेखकः अर्पित वगेरिआ

किताबः बी माय परफेकट ऐंडिंग  लेखकः अर्पित वगेरिआ यू आर दी बेस्ट वाईफ, अजय के पांडे द्वारा लिखी खुबसूरत किताब पढ़ने के बाद मेरा रूझान रोमांटिक नावल की ओर हो गया। सोचा क्युं ना एक और रोमांटिक नावल पढ़ा जाये पर अब किसी और लेखक का।  हालांकि मैने अजय के पांडे के दो और नावल मंगवा लिये हैं पर सोचा पहले किसी और लेखक की लेखनी पढ़ी जाये। इसके लिये मैने चुनी है किताब बी माय परफेकट ऐंडिंग। अर्पित वगेरिआ ने ये किताब लिखी है। किताब पढ़ने की इच्छा यह जानने के बाद और दुगनी हो गयी कि लेखक और कहानी का पात्र दोनो ही एक टेलीविज़न लेखक है। बचपन से घर पर टेलीविजन सिरीयलज़ देखते आये हैं तो नावल से पहले टीवी ही मेरे लिय इंटेरटेनमेंट का पहला माध्यम था।  सोचा शायद यह नावल टीवी स्टारज़ की चकाचैध भरी जिंदगी से जुड़ा होगा। यह किताब शुरूआत में बाम्बे की चकाचैध में जी रहे एक टेलीविज़न के लेखक की जिन्दगी दिखती है जो महत्वाकांशी है। जीवन में सच्चा प्यार तलाशने और अपनी जड़ों को ढूंढने की कोशिश कर रहा है। शुरूआती पन्ने में अरमान  अपनी प्रोफेशनल लाईफ में निराश और उलझा-उलझा सा रहता है। वहीं दूसरी और प्यार और नये रिलेशनशिप के लि

तस्वीर के पीछे छिपी करोड़ो लोगों की भावनाऐं कलाकार रवि रवराज की ज़ुबानी

सदा शब्दों के पीछे छुपी भावनाओं की बात करने वाली आज मैं, निशब्द भावनाओं को पढ़ने में ऐसी खो गयी कि निशब्द हो गयी। पिछले दिनों वायरल हुयी ये तस्वीर देखकर। शब्द ही नही रंग भी कई भावनाओं को समेटे होते हैं। ये बात आज समझ आयी। एक बेहतरी कलाकार रवि रवराज ने ये तस्वीर बनायी जिसमें बिना एक शब्द लिखे उन्होने सब लिख दिया। जिसे वो शब्द दिखे वो समझा और देश के भविष्य के प्रति चिंतित हो मन ही मन रोया, जिसे नही दिखा वो सत्ता की चकाचैध में खोया। आगे आप खुद ही समझदार हैं। कलाकाल के मन में ये तस्वीर बनाते हुये क्या रहा होगा? सवालों के किस बवंडर में वह फंसा होगा? मन में क्या पीड़ा रही होगी ये रंग केन्वस पर बिखेरते हुये? रवि रवराज के इस सफर को मेरी दोस्त वनिता खन्ना उर्फ गिफटी अटवाल और उनके जीवन साथी जे बी सिंह अटवाल ने अपने कैमरे में कैद किया। ताकि उस कालाकार की भवनाऐं आजाद हो सके। उस तक सिमटी उसकी सोच लाखो करोड़ों तक पहुंच सके। Ravi Ravraj | Kankaa Di Lori | Ravi Ravraj Life Story | Wadhde Kadam

कलयुग के प्रेम में भी है अमर करने की ताकत

You Are The Best Wife by Ajay K Pandey किताब:   यू आर   दी  बेस्ट वाईफ   लेखक:  अजय के पांडे  यह किताब लेखक और उनकी पत्नी की सच्ची कहानी है।              "प्यार आपको धर्म निरपेक्ष बना देता है।"          "L ove makes us secular."           अजय के पांडे की खूबसूरत किताब पूरी करने तक मेरी आंखों में आंसू थे और दिमाग में बहुत से सवाल घूम रहे थे। मेरे मन ने भी भगवान के होने पर कई सवालिया निशान लगा दिए थे। क्या भगवान सच में इतना निर्दयी हो सकता है? जब किसी को हमसे छीनना ही है तो उसे हमारी जिंदगी का हिस्सा क्यों बनाता है? किताब किन लोगों को अधिक पसन्द आ सकती है           यदि आप रोमांच, रोमांस, व्यंगय व स्टीक लेखनी के शौकीन हैं तो ये किताब आपके लिये है। आपको ये किताब सेल्फ इंप्रुवमेंट में भी मदद करेगी। यह किताब आपको बखुबी बतायेगी कि जिन्दगी सुख, दुख और संघर्ष का मिलाजुला नाम है । कहानी           यह किताब लेखक और उनकी पत्नी की सच्ची कहानी है। भगवान को जब किसी को हमसे छीनना ही है तो उसे हमारी जिंदगी का हिस्सा क्यों बनाता है? किताब  का अंत होते-होते  लेखक ने इस सवाल का जवाब दे

कलम की कथनी या किबोर्ड की करनी, किसके शब्दो में है दम?

कलम के युग में स्याही कच्ची, मगर इसकी कथनी सच्ची और पक्की थी। किबोर्ड के युग में शब्द पक्के मगर भाव कच्चे लगते हैं। क्या आपने कभी  चिट्ठियां लिखी हैं? या कभी मां के पास कभी कोई पुरानी रखी  चिट्ठियां पढ़ी है?  कंप्यूटर का ज़माना आ गया है उंगलियां कीबोर्ड पर ऐसे मचलती हैं कि मानो पैसे गिनने के लिए फड़फड़ा रही हो। मगर इस बीच एक एहसास सा खत्म होता जा रहा है, वह है अपने हाथ से अपनी भावनाओं को लिखने का मज़ा। न जाने क्यों कीबोर्ड से मेरी कुछ ज्यादा बनी नहीं, खासकर तब, जब इमोशंस लिखने की बारी आती है तो मुझे कलम से लिखे हुए, हाथ से संजोए हुए, अपने शब्द ही पसंद आते हैं। चाहे वह बुक मार्कर, हो या अपनी कविताएं लिखना या फिर चंद पंक्तियां लिखना।  मुझे यकीन है यह बात वह लोग जरूर समझेंगे जिन्होंने कभी चिट्ठियों से अपने दिल की भावनाएं अपनों तक पहुंचाई हो| जिन्होंने कभी कागज पर वह सच लिखा हो जो वह कभी किसी से ना कह पाए हो। यह बात वह लोग जरूर समझेंगे जिन्होंने अपने सुख-दुख के संदेश कभी अपने प्रियजनों को और सगे संबंधियों को चिट्ठियों से भेजे हो। आज भी मुझे मेरी पुरनी किताबें, मेरे हाथों से लिखे नोटस और कॉपियां

मर्द वो जो औरत नही और औरत वो जो मर्द नही

हम जिस पल जन्म लेते हैं उसी पल से हमारा वर्गीकरण शुरू हो जाता है। औरत है या मर्द ? जाति कौन सी है? रंग कैसा है? गरीब है या अमीर?  हम जिस पल जन्म लेते हैं उसी पल से हमारा वर्गीकरण शुरू हो जाता है। औरत है या मर्द ? जाति कौन सी है? रंग कैसा है? गरीब है या अमीर? और ये सब वर्गीकरण अपने आप को बुद्यिमान कहलवाने वाले समाज के ठेकेदार करते हैं। अगर ये भेदवाव सच में कुछ मायने रखता है, तो जाति धर्म के ठेकेदारों से कभी पूछो तो.. कि अछुत मान कर किसी के हाथ का खाना खाने से मना करने वालों ने कभी ये कहा है कि हम अपनी जाति व धर्म द्वारा उगाया अन्न ही खाऐंगे। उन्ही के द्वारा उगायी कपास का बना कपड़ा पहनेंगे। उसी जाति के डाक्टर से ईलाज करवायेंगें। उसी के हाथ का बना जूता पहनेंगे। नही धर्म के ठेकेदारों ने बड़ी चतुराई से लोगों को इस भेदभाव में उलझा दिया ताकि असली मुद्दों पर बातचीत करने से लोग भटक जाये। समय ही निकाल पाये असली मुद्दों पर बात करने का।         ये रंगभेद मज़ाक सा लगता है मुझे। ये मज़ाक नही तो क्या है? रंग के आधार पर सुन्दरता को आंकने वाले से कभी पूछा है कि सफेद रंग को खुबसुरती का मानक मानने वालों को क

शब्दों की निशब्द भावनाओं को पढ़ने की कोशिश

  इस भाग दौड़ भरी जिन्दगी में हम सब बहुत कुछ सीख पाते हैं और काफी कुछ नही। कुछ जिन्दगी सीखा देती है कुछ लोग। मगर मेरे साथ इस सफर में मैं लायी हुं किताबों की दुनिया से कुछ ऐसी बातें जो शायद हम सबको कई हजारों जिन्दगियों के सबक सीखा देगी। बिना वो जिन्दगी जीयें, किताबों के शब्द आपको एक नयी दुनिया में ले जायेंगें  मेरी पढ़ी हर किताब को आप भी पढ़ा हुआ महसूस करेंगे। मेरे इस सफर का आप भी हिस्सा होंगे। इस नये साल में शब्दों के पीछे छुपी निशब्द भावनाओं को पढ़ने की कोशिश कर रही हूँ ।  किताबों की दुनिया से रूचिका सचदेवा